वफ़ा की राह पे तू शाद -ओ -आबाद रहे
पर तुझे अपनी जफ़ाओं का सफर याद रहे
शाम -ए -वस्ल मुबारक, ए बिछड़े सनम
कैसे बिखरा था नशेमन मगर याद रहे
साथ जब यार चलें ,ज़िक्र मोहब्बत के रहें
बस किसी घर की वीरान डगर याद रहे
कैसे करते हैं चुपके से दिलों के टुकड़े
खुदा करे तुझे यह ही हुनर याद रहे
जब किसी गैर के चहरे पे झुकाना पलकें
अपने आँगन का तन्हा सा शजर याद रहे
वैसे तूफां में सफीने की फिकर क्यूँकर हो
मन की मौजों को अगर दिल की लहर याद रहे