हम आगाह थे ,था मालूम हमें
यह दिल टूटा ही करते हैं
यह सागर हैं ,रेज़ा -रेज़ा
सरे -महफ़िल बिखरा करते हैं ;
ऐसा ही हुआ ,कि इस दिल में
कोई शिकवा न मक्कारी थी
हर अश्क था मोती अपने लिए
हर जफा से पर्दादारी थी ....
ना कोई मुखोटा था अपना
न अफसाना गुमनाम कोई
न शर्मना दिखलाने को
न झूठी सी मुस्कान कोई ;
अब दोष नहीं धरना हर सू
अब कोई छान ना करना है
बस ख्वाब ही था अपना जीवन
यही सपना ले कर मरना है ......
यही सपना ले कर मरना है ........
यह दिल टूटा ही करते हैं
यह सागर हैं ,रेज़ा -रेज़ा
सरे -महफ़िल बिखरा करते हैं ;
ऐसा ही हुआ ,कि इस दिल में
कोई शिकवा न मक्कारी थी
हर अश्क था मोती अपने लिए
हर जफा से पर्दादारी थी ....
ना कोई मुखोटा था अपना
न अफसाना गुमनाम कोई
न शर्मना दिखलाने को
न झूठी सी मुस्कान कोई ;
अब दोष नहीं धरना हर सू
अब कोई छान ना करना है
बस ख्वाब ही था अपना जीवन
यही सपना ले कर मरना है ......
यही सपना ले कर मरना है ........