दिल कहता है फिर से जन्म लूँ....,
मां के आँचल में छुप -छुप कर
जीवन की कड़वाहट से बचता
चंचल मन से खिल -खिल हँसता
बहन को अपने साये में ढक कर
भाई का उतरा कुर्ता पहने
नन्हे हाथ में पहली कलम लूँ
दिल कहता है फिर से जन्म लूँ
इस बार ऐसे स्कूल में जाऊं
जहाँ पढूँ इक पाठ नया सा
भूल जाऊं इस A और B को
जीवन का शऊर सीख कर
हर रंजिश से मुक्त ह्रदय ले
रस्ते को ही समझ के मंजिल
हँसता गाता आगे बढ़ लूँ
दिल कहता है फिर से जन्म लूँ
इक ऐसी महबूब मिले फिर
पाक ,अकीदत ,पूजा जैसी
हया का दामन थाम सदा ही
हर सू बरपा दे उजिआरा;
रोशन ,नाज़ुक ,मोहसिन सी वो
बोझिल -बोझिल पलकें जिसकी
हौले से ,चुपके से ,ढक लूँ
दिल कहता है फिर से जन्म लूँ
और फिर जब आ जाये बुलावा
बाकी कोई अरमां ना होगा
होटों पे ले गीत वफ़ा का
सृष्टि का संगीत समंझ कर
रून-झुन टपर -टुपुर सा दिल यह
बोल उठे गा अन्तर-मन से
"मौत ,देख,मैं तेरा सनम हूँ
दिल कहता है फिर से जन्म लूँ ....
4 comments:
N EQUALLY SMOOTHING N SERENE TO MY SENSES....
JEE CHAHE PHIR KABHI NA JANMOON
IS BAAR TO JAISE TAISE KAR KE
KHEENCH KHANCH KE MAR KE MAR KE
THODI DOOR LAYA HOON GADI
THAK GAYE HAIN KARM KE KANDHE
AB TO ZARA AARAM SE MAR LOON
JEE CHAHE PHIR KABHI NA JANMOON
YAHAN KA NARK YAHIN PE CHODOON
PHIR NA IS TARAF MOOHN MODOON
KHO JAOON... KOI DHOOND NA PAYE
SHOONAY KO APNA DOST BANA KE
OOS HI MAIN APNA GHAR KAR LOON
JEE CHAHE PHIR KABHI NA JANMOON
its heart rending in both the cases
It becomes absolutely necessary to go to basics sometimes.In your readiness is your happiness. GO, poet!
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