दिन गुज़र चुका उस हसीन बात के बाद
नयी सदी उठेगी अब इस रात के बाद
जो गुज़रनी थी हम पर , गुज़र है चुकी
क्या होगी कयामत इन हालात के बाद
हमसे पहले खेलते इश्क की बाज़ी
क्या लुत्फ़ रहेगा अब मेरी मात के बाद
रोएँ तो ,जाएँ तो ,यार के काँधे पर
और क्या मांगना इस सौगात के बाद
इस अदा से झटकते हैं वोह ज़ुल्फ़ से पानी
कई मौसम बदल गए इस बरसात के बाद
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