Sunday, June 27, 2010

पुनर्जन्म

दिल कहता है फिर से जन्म लूँ....,

मां के आँचल में छुप -छुप कर
जीवन  की कड़वाहट से बचता
चंचल मन से खिल -खिल हँसता
बहन को अपने साये में ढक कर
भाई का उतरा कुर्ता पहने
नन्हे हाथ में पहली कलम लूँ

दिल कहता है फिर से जन्म लूँ

इस बार ऐसे स्कूल में जाऊं
जहाँ पढूँ इक पाठ नया सा
भूल जाऊं इस A और B को
जीवन का शऊर सीख कर
हर रंजिश से मुक्त ह्रदय ले
रस्ते को ही समझ के मंजिल
हँसता गाता आगे बढ़ लूँ

दिल कहता है फिर से जन्म लूँ


इक ऐसी महबूब मिले फिर
पाक ,अकीदत ,पूजा जैसी
हया  का दामन थाम सदा ही
हर सू बरपा दे उजिआरा;
रोशन ,नाज़ुक ,मोहसिन सी वो
बोझिल -बोझिल पलकें जिसकी
हौले से ,चुपके से ,ढक लूँ

दिल कहता है फिर से जन्म लूँ

 और फिर जब आ जाये बुलावा
बाकी कोई अरमां ना होगा
होटों पे ले गीत वफ़ा का
सृष्टि का संगीत समंझ कर
रून-झुन टपर -टुपुर सा दिल यह
बोल उठे गा अन्तर-मन से
"मौत ,देख,मैं तेरा सनम हूँ

दिल कहता है फिर से जन्म लूँ ....