Saturday, December 4, 2010

उन्वान अब और नहीं हैं ........

करता हूँ मोहब्बत इक तस्वीर के साथ
हैं ख्वाब खफा जब से ताबीर के साथ

दिल-शाद अदा उनकी और मासूम तकल्लुम
लगता है कि करते हैं बड़ी तदबीर के साथ

मेरी रातों को चरागों का गुमां हो गुज़रा
वोह मुझ से मिला था इस तनवीर के साथ

आज़ाद शाम के धुन्दलकों ने क्यूँ कहा मुझ से
कितने रोशन  थे तुम  उस   ज़ंजीर के साथ

मेरी नज्में तो मेरी तख्लियत कि हामिल हैं
किसने पाई है मोहब्बत फकत तहरीर के साथ

हाँ ,वोह चले गए लेकिन,मुस्का के तो गए
कोई गिला नहीं है अब तकदीर के साथ